VALENTINE's DAY: An Equation of Love..!? (वैलेंटाइन्स डे: प्यार का एक समीकरण...!?)
लेखक: राजेश डी. हजारे (RDH Sir)
आज 14 फरवरी है। 14 फरवरी- 'वैलेंटाइन डे' - प्यार का इजहार करने का एक दिन। वैसे देखा जाए तो यह एक पश्चिमी त्योहार! परंतु ऐसी कौन सी पश्चिमी चीज है जिसे हम भारतीयों ने स्वीकार नहीं किया? वैसे प्यार का इजहार करने के लिए अलग से किसी एक दिन की आवश्यकता नहीं हैं। लेकिन कोई बात नहीं; होना चाहिए एक दिन ऐसा भी 'प्रेम दिवस' के रूप में केवल प्रेम को समर्पित...!
प्रेम (प्यार)! "ढाई पवित्र अक्षरों का संगम है प्रेम (प्यार)।" पर आज प्रेम यह शब्द कानों पे आते ही अथवा होठों से निकलते ही नयनों के समक्ष आते हैं दो परलिंगी पंछी==> युवक - युवतियां और किशोर उम्र के बालक एवं बालिकाएं भी..! आज पवित्र शब्द प्रेम अधिक से अधिक अपवित्र होता जा रहा है और समाचार पत्रों और समाचार चैनलों पर दैनिक अपराध से संबंधित अपराधों से यह सिद्ध भी होता है!
"वास्तव में प्रेम ही सृष्टि के चक्र को नियंत्रित करने का एकमात्र आधार है। प्रेम के बिना एक क्षण सांस लेना भी संभव नहीं है।" हो सकता हैं, शायद मेरे मित्र मुझे प्रेमविरोधी के रूप में भी जानते हो। पर सच तो यह है कि मैं बिलकुल भी प्रेम-विरोधी नहीं हूं। मुझे 'प्यार' शब्द से कोई आपत्ति नहीं है..! जब भगवान भी पवित्र प्रेम का विरोध नहीं करते तो मैं कौन होता हूं प्यार का विरोध करनेवाला? मैं आज के युवाओं के विचारहीन प्रेम का विरोध करता हूं।
मैं पूछना चाहूँगा कि क्या प्रेम केवल प्रेमी-प्रेमिका का ही होता है? तो नहीं। प्यार माँ-बच्चा, प्राणी-पक्षी, गाय-बछड़े, दोस्त-दोस्त, प्रेमी-प्रेमिका और भाई-बहन में भी होता हैं। मेरा आज के युवक-युवतियों के पवित्र प्यार को भी विरोध नहीं हैं किंतू ऐसे पवित्र प्रेम करने वाले प्रेमी युगलों को ढूंढने निकले तो शायद हाथ - पैरों की 20 उंगलियां भी ज्यादा हो जाए! और यही चिंताजनक विषय है।
आज प्रेम शब्द देख-भाल, परवाह, दायित्व, संरक्षण, भावना एवं एक दूसरे के प्रति समर्पण का नहीं बल्कि देह-सुख के लिए भोग का शब्द बनकर रह गया है। हर एक इंसान प्यार का उपयोग अपनी-अपनी आवश्यकता के अनुरूप करने लगा हैं। बदलते वक्त के साथ-साथ प्यार कि परिभाषा भी बदल गई हैं। "आज की पीढ़ी प्यार के नाम पर वासना के मोह कि ओर खींची जा रही है।" यह लेख लिखने के पीछे मेरा उद्देश्य प्रेमी, प्रेमिका, प्रेम या वैलेंटाइन डे का विरोध करना बिल्कुल भी नहीं है; लेकिन मै जानता हूं की आज के नवसीखे शौकीन-मिज़ाज पागलप्रेमी युगल मुझे लैला-मजनू, हीर-रांझा, सलीम-अनारकली, देवदास-पारो और रोमियो और जूलियट के ऐतिहासिक पवित्र प्यार की मिसालें देंगे, लेकिन वह पवित्र प्यार अब बचा नहीं है और भविष्य में वैसा प्यार दोहराया जाएगा इसकी भी कोई संभावना नहीं है। क्योंकि वैसी सहनशीलता आज के युवाओं में बची ही नहीं है। और जिन्होंने प्रेम कि पवित्रता को शुद्ध जल के समान संजोकर रखा हैं; उन्हें मेरे विचारों का विरोध करने का अथवा आपत्ति जताने का कोई कारण नहीं है; इसके विपरीत, वे इस लेख की सच्चाई और वास्तविकता को जानेंगे तथा भली - भांति समझेंगे।
आज प्रेमी + प्रेमिका = प्यार (LOVE) = वासना (LUST) और यह वासनापूर्ण प्यार से ही बाद में होते है शारीरिक संबंध (Physical Relations/SEX) और अगर किसीने भविष्य में मना किया या 'धोखा' दिया तो बाद बाद में होते हैं--- 'बला xxx (R×××) और हत्या..! और ये सब होते हुए अगर लोग LOVE = SEX का समीकरण बना भी रहे हैं, तो इसमें वह क्या गलत कर है? आज अधिकांश (कुछ अपवादों को छोड़कर) प्रेमी युगलों ने ऐसा समीकरण तैयार करने पर विवश कर दिया हैं एवं अपनी हरकतों से यह समीकरण सही भी साबित किया हैं..!
ये हुए वर्तमान प्रेम के संबंध में मेरे विचार... खैर...!
आज 14 फरवरी अर्थात 'वैलेंटाइन्स डे' है। इस दिन को मनाने के लिए मूलतः मेरा विरोध हैं ही नहीं..! 14 फरवरी 'वेलेंटाइन' नाम के दो अलग-अलग संतों की शहादत का दिन है जिन्होंने रोम और तर्नी यह दो अलग-अलग देशों में प्रेम का संदेश दिया। यह दिन प्रतिवर्ष उन्ही दो महान संतों का प्रेम का संदेश देकर (प्रेम का इज़हार कर) मनाया जाता हैं। इस दिन हम किसी को भी हैप्पी वैलेंटाइन डे कहकर शुभकामनाएं दे सकते हैं। यहां तक कि माता-पिता, दोस्त, भाई-बहन, छात्र-शिक्षक, सहकर्मी, पड़ोसी और प्रेमी-प्रेमिका को भी..! कोई मतलब कोई भी! ऐसा हर कोई जिसे हम प्यार करते हैं। हां ..! आपका वेलेंटाइन कोई भी हो सकता है! यह दिन उन लोगों के लिए अपने प्यार का इजहार करने के लिए हैं, जिनसे आपने कभी अपने प्यार का इजहार नहीं किया। उन्हें अपनी ओर से पवित्र प्रेम का प्रस्ताव देने का दिन हैं जिसे हम अंग्रेजी में propose कहते हैं... और जवाब में 'केवल हां' की उम्मीद करना भी सही नहीं है। जिन लोगों को अपना प्यार जताने के लिए हम कभी समय ही नहीं निकाल पाए उन लोगों के लिए अपने प्यार का इजहार करने के लिए यह एक खास दिन है...
मुझे समझ नहीं आता कि क्यों एक पाश्चात्य त्योहार कह कर केवल इसी एक दिन का विरोध किया जाता हैं? विरोध का शायद एक वाजिब कारण अवश्य है कि - 'वेलेंटाइन्स डे' के नाम पर मिली आजादी की आड़ में प्रेमी-युगलों का सड़कों पर अश्लील हरकते करते हुए घूमना तथा सभी मर्यादाएं भूल जाना.... इस एक बात को अगर छोड़ दें तो मुझे नहीं लगता कि वैलेंटाइन्स डे का विरोध करने का कोई कारण है; और अगर उपरोक्त प्रकार बंद हो जाते हैं, तो इस दिन का विरोध करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी...
खैर ...! अंत में, अगर मेरे शब्दों से कुछ शौकिया प्रेमियों को ठेस पहुंची हो, तो मुझे क्षमा करें ...! पवित्र प्रेम को जानने और उसका अनुकरण करनेवाले शायद मेरे शब्दों तथा विचारों का समर्थन ही करेंगे ऐसा मुझे लगता है।
अंत में एक ही संदेश देना चाहूंगा- चलो शांतिपूर्ण और सभ्य तरीके से जिएं, हर एक से प्यार करें, और पवित्र प्रेम का संत वेलेंटाइन का संदेश पूरी दुनिया में फैलाएं।
- टिप्पणी: यह लेख 2013 में वेलेंटाइन डे पर राजेश डी. हजारे (RDH Sir) द्वारा मूलतः मराठी में लिखे गए लेख व्हॅलेंटाईन डे- एक समीकरण प्रेमाचे...??? (जो 22 से भी अधिक देशों के पाठकों द्वारा पढ़ा गया हैं।) का हिंदी अनुवाद हैं।
- लेखक: राजेश डी. हजारे (RDH Sir)
आमगाँव, जिला गोंदिया (महाराष्ट्र)
दूरभाष क्रमांक (मो.नं): 7588887401
हिंदी अनुवाद एवं प्रथम प्रकाशन: 14 फरवरी 2022
प्रथम प्रकाशन (मराठी): 15 फरवरी 2013
अद्यतन और पुन:प्रकाशन: 14 फरवरी 2017, 2018, 2020, 2021 और 2022
- © इस लेख के सभी अधिकार लेखक राजेश डी. हजारे (RDH Sir) के पास सुरक्षित हैं और लेखक की लिखित अनुमति के बिना, इस लेख को किसी भी आंशिक संशोधन के साथ या गुमनाम रूप से प्रकाशित / अग्रेषित नहीं किया जा सकता है /
- (इस लेख के लेखक अखिल भारतीय मराठी साहित्य परिषद के गोंदिया जिले के पूर्व अध्यक्ष और काव्यप्रेमी शिक्षक मंच के पूर्व गोंदिया जिला प्रमुख हैं।)
- मूल स्रोत (मराठी): व्हॅलेंटाईन डे- एक समीकरण प्रेमाचे...???