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Wednesday, 31 October 2012

Blog 14- ईँसानियत - सबसे बड़ा धर्म

मैँ कई दिनो से देख रहा हूँ। फेसबूक जैसी सोशल नेटवर्किँग वेबसाईट्स पर कुछ लोगोने किसी एक मज़हब के नाम से फेसबूक पेज या प्रोफाईल बनाये हूये है और अन्य मज़हब के बारे मेँ बुराई किये हुये स्टेटस और फोटो अपलोड कर मित्रोँ को टॅग करते है। ऐसे कई सारे फेसबूक फोटो टॅग मुझे भी प्राप्त हुये है जिनपर गौर करने के बाद मैँ कुछ लिखना चाहता हूँ तथा ईस पोस्ट के जरीये ऐसे लोगो से कुछ पुछना भी चाहता हूँ। अबतक ऐसे जितने भी फोटो मेरे फेसबूक अकाउंट पर टॅग किये गये उनमे सिर्फ 'ईस्लाम' कि बुराई कि हुई है तथा ऐसी शर्मनाक हरकत करनेवाले मेरे 'हिँदु' भाई ही है ये जानकर तो मुझे ही शर्मिँदगी महसूस होती है। 'हिँदू' मज़हब के पवित्र नाम से पेज बनाकर 'ईस्लाम' या किसी एक मज़हब को टार्गेट कर उनकी बुराई करनेवाले और ऐसी हरकते करके खुद को 'अभिमानी हिँदू' बतानेवाले या धर्म के नाम पर दुसरे मज़हब के स्वाभिमान पर सवाल उठानेवाले नाटकी लोगो से मै कुछ पुछना चाहता हूँ। *क्या विश्व मे सिर्फ 2 ही मज़हब है? *क्या सिर्फ 'ईस्लाम' बूरा/झूटा/असत्य पर आधारित है? *क्या सिर्फ 'ईस्लाम' मेँ कमजोरीयाँ है? *क्या 'हिँदू' धर्म मे कुछ भी बुराई/कमजोरी नही है? *क्या सिर्फ ईस तरह की फोटो अपलोड करने वाले 'हिँदू' मज़हब से संबंधी फेसबूक पेजेस के अॅडमिनर्स और वे फोटो टॅग करनेवालोँ को ही 'हिँदू' मजहब से प्यार है? *क्या सिर्फ हिँदुओँ को ही स्वाभिमान है? *किसी ने 'हिँदु' मज़हब के बारे मे ऐसी पोस्ट अपलोड करने पर क्या मेरे हिँदू भाई बर्दाश्त करेँगे? *क्या 'ईस्लाम' का कोई स्वाभिमान नही है? *अगर आप अपने मज़हब को ईतना चाहते हो तो बाकी मज़हब वालोँ को अपने मजहब से प्यार/स्वाभिमान नही होगा? मैँ भी हिँदू हूँ। हम भी अपने मज़हब से प्यार करते है, हमे भी अपने मजहब पर अभिमान है। पर ईसका मतलब ये तो नही की उसे जताने के लिये हम दुसरे अन्य किसी भी मज़हब को नीचा दिखाते फिरे। क्यूँ की हमारे जैसा ही सभी धर्मोँ को स्वाभीमान है। और जब हम अपने मज़हबके प्रती अन्य धर्मियोँसे आदर-सन्मान की चाह रखते है तो उनके धर्मोँ का सन्मान करना भी हमारा कर्तव्य बनता है। और खुद को अस्सल हिँदू माननेवालोँ को तो ये भी पता होना चाहिये की अन्य धर्मोँ का सन्मान करने मे ही सच्ची शालीनता है। मै ये हरगीज नही कहता कि ईस तरह केपेजेस मत बनाओ! किसी धर्म का प्रचार करने के लिये ये जरूर बनाने चाहिये! ईस बात के लिये हिँदुस्तान के संविधान कि Section 25-28 : Fundamental Right of Religion's Freedom मे सभी हिँदुस्तानियोँको पसंदिदा मज़हबको अपनाने/पालन करने एवं प्रचारकरने का संवैधानिक अधिकार भी दिया गया है। अत: फेसबूक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किँग/मायक्रोब्लॉगिँग साईट्स के माध्यम से जरूर अपने मज़हब का प्रसार करना चाहिये; लेकिन हमे ये भी याद रखना चाहिये कि जिस संविधान ने हमे हमारे धर्म का प्रचार करने का अधिकार दिया उसके Section 15 के तहत धर्म के बारे मे भेद करने को ईजाजत नही दी गई है एवं भारतीय दंड संहिता दफा 295-298/Indian Penal Code295-298 के अनुसार किसी भी मजहब या धर्म के लोगोँ की धार्मिक भावनाओँको किसी भी माध्यम से ठेस पहूँचानेवाले कार्य करनेपर उसे गंभीर जुर्म मानकर 1 साल कैद/जेल या फाईन या दोनोँ सजा हो सकती है। मित्रो! हो सकता है... कई लोग मेरे ईस पोस्ट से राजी ना हो या मैने हिँदू होकर ईस्लाम की बाजू ली ईसलिये मेरा विरोध करे। उन्हे मै बताना चाहूँगा की मैने ईस्लाम की नही बल्की विश्व के सबसे पहले एवं बड़े मजहब 'ईँसानियत' की बाजू ली... क्यूँ की मैँ मानता हूँ की... "संसार मेँ अगर कोई धर्म है तो बस् एकही है... और उस धर्म (मजहब) का नाम है मानवता/ईँसानियत (Humanity)। पर इंसान ने उस एक धर्म को हिँदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी ऐसा बाँटकर एक धरती का भारत, पाक, ईरान एक धर्मग्रंथ का रामायण, महाभारत, कुरान और एक धर्मस्थल का मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा ऐसा बटवारा किया है।" "पर मै कभी-कभी अपने आपसे पुछता हूँ की जब उस भगवान/अल्लाह/ईसा/ईश्वर या संसार ने इंसान मे कभी कोई भेद नही किया तो इंसान को किसने हक दिया इंसान-इंसान मेँ भेद करने का?" खैर... "मैँ तो मानता हूँ की हिँदू एवं मुस्लिम एक ही है कहूँ तो अचंबा नही होना चाहीये। क्युँकी सोचनेवाली बात है की जहाँ मुसलमान भाई-बहनोँ के पवित्र त्योहार RAMzan Eid की शुरूवात हम हिँदुओँ के भगवान प्रभू श्री RAM के नाम से होती है वहीँ हम हिँदुओँ के सबसे बड़े त्योहार diwALI का समापन मुसलमान प्रेषित ALI के नाम से होता है। फिर मैँ पुछता हूँ जब प्रभू श्रीराम के नाम के बिना रमज़ान ईद एवं अली के नाम के बिना दिवाली नहीँ मनाई जा सकती तो हिँदू एवं मुस्लिम मेँ भेद कैसे किया जा सकता है? sds1.jpg अंत मे मै यही कहना चाहूँगा की मेरा मकसद किसी मज़हब की धार्मिक भावनाओँको ठेस पहूँचाने का न होकर ये संदेश देने के लिये है कि- जो किसी भी धर्म के लोग अपने धर्म के प्रती अपना स्वाभिमान जताने के लिये दुसरे धर्म/धर्मोँ का अनादर करने मेँ जुटे होते हैँ भगवान/अल्लाह उनको सुबुद्धी दे। और वो जल्द ईस तरह की दुसरे धर्मियोँ की धार्मिक भावनाओँ को ठेस पहुँचानेवाले स्टेटस/फोटोज अपलोड करना छोड़कर अपने धर्म के साथ-साथ दुसरे धर्म का भी सन्मान करने लगे। लेखक: RDH (राजेश डी. हजारे) -गोँदिया जिल्हाध्यक्ष-अ. भा. मराठी साहित्य परिषद, पुणे तिथी-29 अक्तुबर 2012 आमगांव साधार: [link=www.facebook.com/photo.php?fbid=298822946884537&id=172285252871641&set=a.173243409442492.27049.172285252871641&refid=17]ईँसानियत-सबसे बड़ा धर्म[/link]

Saturday, 27 October 2012

*Eid Mubarak*

Hi Frnds... Today is Bakari~Eid so I thought to share some Islamik photos with you on this holy festival. Assalam Alykum asa.gif As you known- I am Hindu by religion but I like Islam. I confidently say that "There is only one religion created in the world and that is Humanity.But human not only distanguished that religion as Hindu, Muslim, Sikh, Isai, Bauddha, Jain, Parsi but distanguished One Earth's Bharat, Pak, Iran, One holy scriptural Ramayana, Mahabharata, Quran and One religious holy place's Temple, Mosque, Gurudwara. But I ask... Which discrimination does not done by nature; Who did the right to human to discriminate between this?". I beleive that "Nothing should be wrong if we says/revere Hinduism and Islamism is same; because Islam's holy festival RAMZAN EID starts with Hindu God Ram and Hindu's holy festival DIWALI ends with Islam's prophet ALI... When I think on about it Myself ask If the Hindu-Muslim festival's name does not complete without each eather then how Hindus and Musalmans can live with discrimination..." So I don't discriminate in religion... Really I respect of 'All the religions' but I love Islam as compare to others... "I am Hindu by religion however I try to follow Islamism too as I can..." . Today is Islam's holy festival Bakari~Eid So I am uploading some picture of name Allah allah-in-arabic.jpgallah9.jpgallah17.jpgallah15.jpgallah1.gif This is the picture of Sai Baba says Allah Malik allah-malik.jpg Following 4 pictures are of World's biggest FAIZAL MOSQUEsituated in Pakistan 1.Picture of Faizal Mosque's Helicopter view 2.Picture of Faizal Mosque 3.Picture of Faizal Mosque 4.Picture of lighted Faizal Mosque at night faisal-masjid01helicopte.jpgfaisal-mosque02.jpgfaisal-mosque03.jpgfaisal-mosque04lighted.jpg This is the photo of 1st mosque I have seen on 27th June 2010 from inside Jumma Musjid/Mosque situated at Mominpura,Nagpur jumma-musjid-mominpura-na.jpg These are photos of 'Hazrat Baba Sayyad Ganjushah Rahamtullah Alaiha' Dargah situated at Ramtek Dist.Nagpur I have captured these photos by mobile dargah-ramtek01.jpgdargah-ramtek02hbsgrar.jpgdargah-ramtek04.jpgdargah-ramtek05.jpg In following 2 photos I am praying in Dargah at MALTEKDI, Amravati maltekdi1.jpgmaltekdi2.jpg I am at front of BEEBI KA MAKBARA, Aurangabad in April 2008 bbm.jpg These are some images of Hudge Maqqua, Saudi Arab hudge01.jpghudge02.jpgEID~MUBARAK eid-mubarak.gifeid-mubarak.jpgeid-mubarak72.jpg

Wednesday, 24 October 2012

Navratri Album

Video clip of Decoration in Kalee Mandir (Kalee Temble) Amgaon n-kalimandir.3gp Photos of Zamindar Wada DURGA n-jamiwada.jpgn-zwdurga.jpg Video of Shivbarat (Grain Market) Amgaon: n-shivbaraat.3gp Video of Shivling n-shivling.3gp 1 more video of Grain Market Durga Decoration n-market.3gp Photos of Durgotsav near Grain Market Amgaon n-mjai-mata-di.jpgn-mdurga.jpgn-mdurgadeco.jpg More Photos of Kali Mandir Amgaon's Light swastik-light.jpgjyotvisarjan.jpg Video of Jyotivasarjan in Kali Mandir Amgaon jyotvisarjan-vdo.3gp Our Bike & Bicycle's pose on Dasshera dasrapuja.jpg

Saturday, 20 October 2012

HAPPY BIRTHDAY (Blog1@ www.rdhsir.tumblr.com)

This 2nd Sept. 2012...
I remember when I had firstly sign up on facebook, searched my sister who is not on FB according to me... but found 1 people whose name is similar with my sister, quickly I sent frnd request with a personal massage but then I think she ignored that and after that my account also blocked by co.

I known she is not my sister cause her address, DoB info. was totally different from my sister... I resent a frnd request... After some days I found her profile again then known that she didn't logged in on FB from last 19th Oct... But saw an another 1 account with similar name... I sent request to both account now... When I saw both profiles on yesterday... I observed that previous account's status was same mean till last 19th Oct. but new account was updated on last 22nd August means after I sent a request... Means It was cleared that new person also had ignored my request... I sent again1 request to her but with massage now... Now you will say both profiles should be same but I must have to tell you that the Address updating in that profile is totally different from each other... And that is not my sister's also...

Now I will have to come on main& important topic of the matter...

My accepted sister's 21st birthday passed on 13th August2012... But I couldn't wish her personally or contact her by anyway... I didn't wished her b'day via CETFlash also... But I had uploaded a photo (B'day Cake) with caption of poem 'उधान फुटलं या भावाच्या सुखाला...'[here] which I had writtened for her 19 th birthay... on my personal fb page wrote my feelings on my sister's birthday in my daily diary to wish her.

Before that I tried to consider a sister to my 1 Islamic fb friend 'Shiba Shaikh' but suddenly she gave me a shock by blocking me... however I don't think I did any misbehave with her... And anyway 'Why any brother will misbehave with sister?' its a common sence.

Before exact 1 month from today on 2nd August of 2012... This was the day of holy 'Rakshabandhan', I couldn't wish Rakshabandhan also to my sister so I posted my some quote about Rakshabandhan on Rakshabandhan... It doesn't matter that Why I can not wish her? or why she hates me to be my sister or call me brother? Its a long story happened caused of some misunderstandings before makes a relation of 'Brother & Sister' between us in the past... But 1 girl named 'Kiran Pakhare' read that & tried to consider me her brother... I had tried to consider my sister to Shiba but she had given me a big shock which I have included... I tried to test Kiran that how she think me as brother & I want to tell you she failed in my test I didn't consider her my sister...

I want to tell you one thing that I assume my sister to every muslimgirl cause my considered sister belongs with Islam however I must have to clearly say My sister was & is only one and she is Ruksana Tadavi and only she will be forever in the future... If I say/call my sister to anyother she can't compare her with my sister... because my sister is only one in the world.

Today 2nd Sept. 2012. This is the 19th Birthday of Ruksana Tadavi whom I found on fb 1st who is 2yrs & 19 days younger than my sister and 1yr,4mnth & 14 days younger than me however my sister is elder than me by 8mnth& 5 days, after I found another Ruksana... But both neither identify me nor my facebook frnds.

But anyway-- whats happened that these are not my sister(s)... Where am I brother of my sister? It is enough for me that their name is matching with my sister's name Ruksana Tadavi.

And today is the birthday of someone Ruksana Tadavi. So I must have to wish her birthday...

Wishing you a very very...

=HAPPY BIRTHDAY= RUKSANA TADAVI

-RDH (Rajesh D. Hajare)
2nd Sept. 2012
-Amgaon

Friday, 12 October 2012

Blog 10: HAPPY BIRTHDAY BABUJI

This is 12th October 2012. 45th Birthday of my Father My Idol my-father.jpg
Mr.DASHARATH RAGHOBA HAJARE
(D.R.Hajare)

I dont want to write this blog to only wish him; I want to tell you a inspiring history he lived.... to salute my Father, My Inspiration, My Idol..everything means my 'BABUJI'.

I know however I tried I can't express his life in this short blog... Even then I am trying to telling you something about him...

My father born on 12th October 1967 at Panjra (Dt.Bhandara) or in Barbaspura in poverty. But After his birth my father shifted at Barbaspura (Kachewani) which is situated now in Gondia district's Tirora Tahsil. Babuji faced so many problems in his life from childhood. My Babuji was so intelligent at his school. But unfortunately my grandfather faced to paralysis and total resposibility of family falled on my father's shoulder; he carried out it nicely with studying & earning (both in same time). My father completed DEd after SSC even then he faced unemployment for 8 years or more...

In this period my Babuji married with my mother Rukmini on dated 20th May 1991.After that I born on 18th April 1992 and my younger brother Vivek born on 13th October 1995 whose birthday comes after 1 day of Father so coming on tomorrow...

Finally 1 day rised with happiness in our family and my father received call later & joined a Maharashtra State Government Service as Primary Teacher at Z.P.Pri.School Dodadgaon P.S.Ambad Z.P.Jalna in 1996. He completed the service there for 8 and half years.

Here one sentence will be enough to tell you

How was My father as teacher/person there?
When my father transferred in Gondia district from Jalna district all Dodadgaon village was so nervous and their each & every people of every age from Dodadgaon village were come out at home and said goodbye with tearfull eyes...
when Babuji leaved the village. That tears were not flowing for any famous celebrity or their any relative; that tears were for a common primary teacher who worked their as Assistant Teacher, Head Master for 8 and half years and made Memorable relations with each & every person with honesty...
My Babuji leaved this great type of impression in peoples heart of that place and so after 8 years from transfer also their people contacts my Babuji & says his greatness. Because Babuji deserves that respect. I dont think that any teacher can replace that impression from their people's heart. I want to tell you the same impression My father leaved in new place Brahmantola's people also...
Now Babuji is working as Assistant primary teacher at Z.P.Hindi Pri. School Brahmantola P.S.Salekasa Z.P.Gondia. while we lives in Amgaon.

This was the story of a Teacher who 'made his world from Zero.' I know I couldn't tell you this whole story If tried I can't but I had thought on Babuji's previous birthday to write his biography and to gift him but I couldn't. I changed my think but newly I will think on this subject and if my heart comes ready I will write and gift him...

Cause I can not return his favour but If I do so I can surely write something for my father as his author son...
If I can do so It will be a great success for myself...
Cause many persons writes for their mother but I will write something for my father/Babuji...
Cause he is my inspiration, Really he is an Idol Teacher in my vision... and want to say firmly "If every primary teacher did service as my father; no time will be spend to come a day when no diffrence will be exist between primary and Central school student."

Finally this is 12th October 2012...

I wish a Healthy,Wealth,Prosperity,Success,Great Achievement,a lot of Happiness in my fathers long life... Wish him a very...

HAPPY BIRTHDAY BABUJI

-Rajesh D. Hajare (RDH)
-Vivek D. Hajare & Family

Thursday, 11 October 2012

MTEA-3. सुक्ष्मपाठाचे आनंदी दिवस

आमचे सुक्ष्म पाठ सुरू असताना माझी ईच्छा होती कि नवीन प्रवेश घेतलेली मुलगी माझ्याच गटात यावी पण ती दुस-या तुकडीची असल्याने माझ्या गटात येणार नाही असे वाटले होते पण देवाच्या कृपेने अनपेक्षितपणे ती मुलगी माझ्या गटात आली व विशेष म्हणजे मीच त्या गटाचा गटप्रमुख होतो.

पहिल्याच नजरेत मी त्या मूलीला बहिण मानलं होतं व त्या बहिणीने 'माझी ताई' बनून माझ्याशी फक्त बोलावं या ईच्छेपोटी मी एकट्या ताईचे अब्बल-तब्बल 6 पाठांचे निरिक्षण केले. त्या दिवसात ताई थोडीबहूत माझ्याशी बोलत होती व मी ताईला स्वत: नाशिक प्रकरणाबद्दल सांगून 'ती' व 'ताई' एकच तर नाही ना! हे खात्रीपूर्वक जाणणार होतो तसेच त्यांना बहिण मानतो हे ही सांगणार होतो पण---

काहिही असो, माझी मानलेली ताई माझ्याशी फक्त सुक्ष्मपाठातच चांगली हसत-हसत मनमोकळेपणे बोलली म्हणून माझ्यासाठी सुक्ष्मपाठाचेच दिवस आनंदी होते. त्या आनंदी दिवसांची आठवण आजही मी सुक्ष्मपाठ रजिस्टर व 'ती' ताईचे हस्ताक्षर असलेली कागदे जपून ठेवत आहे.

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Sunday, 7 October 2012

Blog 8: My Experience about CETFlash

Yesterday...
It was 06th October 2012. A 1st Anniversary of 'Google SMS Channel - CETFlash'. Yes. But I want to tell you something different before experience about CETFlash.
I have joined first free sms group from MyToday. Then I joined GupShup & LM-Google's sms channel of Many different catagories.
When I known info. about perticular DEd informer channel from my friend 'Hitesh Singanjude' I joined the group. It was a sms group created by 'Sujit H. Tete'. I also send a massage to GupShup's Subscribing no. 9219592195 and unexpectedly my own group created on Sms GupShup... I started the service... At that time I was trainee of DTEd 1st Yr. My group was also for specially DTEd Students... and Great News is so many questions had asked from my group in my DTEd Exam. But I Subscribed DND ON on my registerd mobile no. 9021097890 from Reliance and my free sms subscription/Registration closed...
I ask solution about this to Shivaji Nakhate & Sujit sir... Sujit sir was my DTEd Super Senior... & I created New sms group 'Score_DTEdCET' from my permanant new mo.no.7588887401 on www.tagg.in After that I changed that group name as many other names and finally I had selected the name 'TargetCET' for that group which was registered by 'Sujit H. Tete'. The service was so faster but unexpectedly all the service of www.tagg.in blocked when my 'TargetCET' had 84 Members... In this channel also I had sent so many questions & from 'TargetCET' also so many questions were asked in my DTEd 2nd Yr. Exam. If you will search you can log on www.tagg.in/targetcet
In this period I was receiving so many sms & calls of 'TargetCET'. They were requesting me to create new sms group.
I got suggestion / procedure to create Google SMS Channel from 'Sujit Sir' and Finally I Created the New 'Google SMS Channel - CETFlash' on dated 06 th October 2011.
cetflash-1.jpg
I received so many subscriber's positive responce about CETFlash. I personally joined somebody and our subscriber also tried to add their friends. Always I keep my first preference to send all important information,Ques,Recruitments,Inspiring/Motivational quotations as quick/fast to our subscribers...
Our big Achievement is I see so many questions in every competitive exam which I already posted in CETFlash.
On the dated 02nd April 2012 In IB Exam paper for post of 'Security Assistant' which I also appeared were asked 37 % ques. from CETFlash and on 22nd April 2012 I saw 67 ques.out of 150 in MPSC's exam for 'PSI'. These may be little figures but when you look the media of SMS... You will agree that Its NOT small figures but I think Its a 'Great Achievement' with SMS Media... You don't think that why I gave only 2 exams example? In other exams also asks ques.from www.labs.google.co.in/smschannels/channel/CETFlash but I dont observe so I am not telling you.
I send some ques. I received from my friends/subscribers with their name for their happiness if you want to publish Send a sms to 7588887401.
After subscribers support to CETFlash and inspiring from DYANVANI's faster service I created new channel 'NEWSVANI' also for specially News.
I think social media is a best way to express self and spread our thoughts/information to most peoples and Sms have limitations of shortness so We created the separate Official Facebook page of CETFlash which I mean RDH Sir manage personally as Owner of CETFlash. Where I post long information,photos and organize quiz also for ur practice of competitive exams.This page liked by 300 FB Users.
...Now My friends takes guidance to create their own group and I can also say that I helped them like Pravin Dhekwar (Pravin_GK,SmsGupShup), Padmakar Sawant (CET-Express,LM-Google) & S.Reddy sir (with me) (MPSC-Reddy,LM-Google). ... Really this year was so Happy... I want to heartly THANKS to each and every subscribers who subscribe 'CETFlash'/'NEWSVANI' and tried to Add their friends... ... Now we are 454 Subscribers of 'Google SMS Channel - CETFlash' while 180 of NEWSVANI. We have posted 850 sms to CETFlash. ... THANK YOU ... *Channel Name: 'CETFlash', 'NEWSVANI' Owner: [RDH~Sir*] (Rajesh D. Hajare) Amgaon Dist.Gondia. Mo.07588887401 ... To Subscribe CETFlash's FREE SMS Service Just Type ONCETFlash Send to 9870807070 . ONNEWSVANI Send to 9870807070 [Give Single Space after type ON] Or Log On * www.labs.google.co.in/smschannels/subscribe/CETFlash and * www.labs.google.co.in/smschannels/subscribe/NEWSVANI Like CETFlash's FB page www.fb.com/pages/cetflash/210958735657678 Like my FB page www.fb.com/pages/rdhsir/172285252871641 and Subscribe me on FB at www.fb.com/rdhajare2 Follow me on Twitter at www.twitter.com/rdhsir

Thursday, 4 October 2012

MTEA-2. 'ती' व 'ताई' जणू एकच...!

मी अकरावीत असताना सन 2007-08 साली राज्यस्तरीय लोकमत युवा महोत्सवात जातेवेळी 'नाशिक' (स्थान बदलले आहे.) येथे थांबलो असताना जेमतेम 2 मिनिटे माझी नजर एका मुलीवर पडली. मी त्याचवेळी त्या मुलीला आपल्या मनात बहिण मानलं होतं! व हे ही जाणत होतो कि माझी त्या मूलीशी पुन्हाहूत भेट होणार नाही; हे अशक्य आहे तरीपण घरी येतपर्यँत माझ्या डोळ्यांसमोर त्याच मूलीचा चेहरा झळकत होता.

पण रामटेक येथे डी.टि.एड. प्रथम वर्षात पाण्याच्या तंबूजवळ दिसलेल्या एका मूलीला पाहून मला वाटले कि 'ती' व 'ही' जणू एकच...! पण डोक्यातील विचार म्हणत होते "छे! असं होऊ शकत नाही. ती मुलगी इथं कशाला येते? व नाशिक (स्थान बदलले आहे.) कुठे आणि त्या प्रवेश घेतलेल्या मूलीचा गाव कुठे?" एक विचार नकार देत असताना मन मात्र मानत नव्हते व वाटे "एका चेह-याच्या व एकाच उंचीच्या दोन मुली कशा?" आणि असल्या तरी "दोघांना बघितल्यानंतर मनात भाऊ-बहिणीच्या नात्याची एकच भावना निर्माण होईल काय?" तरी हा मनाचा भ्रम समजून मी हा विचारच मनातून काढून टाकला मात्र एकदा बघितलं तर नाशिक (स्थान बदलले आहे.) जिल्ह्यातीलच तालुका त्या मुलीचा गाव सापडला. तेव्हा माझा विश्वास बसत नव्हता पण विश्वास करावं वाटलं कि खरंच 'ती' व 'ताई' जणू एकच तर नसावी? परंतु आजही मी या गोष्टीची पुष्टी करू शकलो नाही...

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Wednesday, 3 October 2012

MTEA-1.पहिली भेट

मी राजेश दशरथ हजारे. मला 'दमयंतीताई देशमुख अध्यापक विद्यालय, मौदा रोड रामटेक' येथील 'पाणी पिण्याच्या तंबुजवळ' मी 'डी.टी.एड. प्रथम वर्षात' नवीन-नवीन असताना दिवाळीच्या सुट्टयांहून परतल्यानंतर एक मुलगी दिसली. त्या वेळी त्या मुलीला बघताच मला जबर धक्का बसला तो का? या प्रश्नाचे उत्तर आपणास पुढील लेखात मिळेल. मी त्यावेळी विचार सुद्धा केला नव्हता की ती मुलगी माझ्याच अध्यापक विद्यालयात प्रवेश घेण्यासाठी आली असावी.

मी मानलेल्या माझ्या ताईशी हिच माझी पहिली भेट होती.

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MTEA-प्रस्तावना

"पवित्र पुस्तकाला प्रस्तावनेची काय आवश्यकता आहे?" कारण माझ्या मते तरी मी लिहिलेलं "माझी ताई : एक आठवण" हे आत्मकथनपर पुस्तक भाऊ-बहिणीच्या पवित्र नात्याविषयी लिहिलं असल्यामुळे पवित्र आहे.

प्रस्तुत पुस्तक लिहिताना पहिल्या दिवसापासून आजपर्यँत घडलेलं सर्वकाही "माझी ताई : एक आठवण" या पुस्तकात नमूद करण्याचा मी प्रामाणिक व पुरेपूर प्रयत्न केला असून या प्रयत्नात जवळपास यशस्वी झाल्यासारखे मला वाटते.

या पुस्तकात मी सर्वप्रथम 'अपूर्ण समारोप' या लेखापर्यँतच लिहिलं होतं परंतु जसजसं माझ्या जीवनात त्यानंतरही काही घडलं ते मी पुढे न राहवून लिहीलंच

तरीदेखील या पुस्तकाचा शेवटचा लेख '... जाता-जाता गोड शेवट' इथपर्यंतच मी या पुस्तकाचा शेवट ठेवला आहे; परंतु या आत्मकथनाचा शेवट अद्याप झालेला नाही व तो कधी होऊही शकत नाही कारण भाऊ-बहिणीच्या नात्याचा शेवटच कधी शक्य नाही व तो मी करूपण ईच्छित नाही... परंतु या पुस्तकाचा अंतिम लेख वाचून वाचकांनी असे समजण्याचे मुळीच कारण नाही की नंतर तो गोडवा तसाच सुरू राहिला... हं मात्र इतकं नक्की की त्या दिवसाचा गोडवा मात्र मला आयुष्यभर आनंद देत राहणार...

मी जरी "माझी ताई : एक आठवण" लिहिण्याच्या आनंदात असलो तरी मी दु:खीच आहे; कारण मी या पुस्तकाद्वारे माझ्या दु:खद भावना व्यक्त केल्या असून तुम्हा वाचकांना सुद्धा दु:खच देत आहे...

माझ्या मते जो-जो वाचक "माझी ताई : एक आठवण" माझ्या भावना ओळखून, एकाग्र चित्ताने, मनापासून, भावनांच्या ओघात, भावनाविवश होऊन, निर्मळ व पवित्र मनाने वाचन करेल त्याच्या डोळ्यांतून भावनांच्या ओघात निश्चितच या दुर्दैवी भावासाठी अश्रू पडतील; व तेव्हाच हे आत्मकथन लिहील्याचं सार्थक झाल्यासारखं मला वाटेल अन्यथा जर ही वाचून एखाद्या माझ्या बहिण नसलेल्या वाचक भावाचे वा भाऊ नसलेल्या वाचक बहिणीचे मन हळवे झाले नाही तर माझी ही पुस्तक लिहिण्यासाठी केलेले अपार प्रयत्न, मेहनत व त्याग व्यर्थ गेल्याचे मी समजतो... (परंतु हस्तलिखित प्रत वाचून या पुस्तकाच्या प्रतिक्रीया वहीत वाचकांनी दिलेल्या प्रतीक्रियांमधून हे सिद्ध ही झाले असून मी त्यांचा आभारीच आहे.)

आशा आहे की आपणास हे पुस्तक वाचण्यास मनापासून आवडेल...

-RDH (राजेश डी. हजारे)

  • ज्येष्ठ शुक्ल 3 शके 1932
    मंगळवार दि. 15 जून 2010
    रामटेक, जि. नागपूर
    • निजभाद्रपद कृष्ण 03 शके 1934
      बुधवार दि. 03 ऑक्टोबर 2012
      आमगाव, जि. गोँदिया

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MTEA-मनोगत

प्रिय वाचक, मित्रांनो!

आयुष्याच्या 17 वर्षानंतर मला एक 'ताई' मिळाली. पण एका गैरसमजामुळे की काय! ती मला भाऊ माणण्यास तयार नाही; त्या ताईच्याच विचारात आजही सारा दिवस जातो आणि डोळ्यातून अश्रू ओसंबळून वाहतात. ताई माझ्याशी बोलत नसल्यामुळे मला खुप दु:ख होते जे मी आजपर्यँत आपल्या पोटात पचवले आहेत.

मला झालेले दु:ख बाहेर काढून आपल्या भावना जगासमोर प्रकट करण्यासाठी मी मानलेल्या माझ्या एकमेव ताईचं वर्णन प्रस्तूत "माझी ताई : एक आठवण" या माझ्या जीवनातील प्रथमच कादंबरीत केलं आहे; परंतु या कादंबरीतील सर्व घटना/प्रसंग माझ्या जीवनातील सत्य घटना/प्रसंग असल्यामुळे "माझी ताई : एक आठवण" ही कादंबरी नसून माझे 'आत्मकथन' आहे.

प्रस्तूत कथन करण्यापूर्वी माझा डी.टी.एड. चाच मात्र आता पोलिस बनलेला गडचिरोलीचा मित्र 'विजय शंकर चिँतुरी' च्या 'प्रेमाचे श्मशान'या अप्रकाशित कादंबरीच्या वाचनाचा व त्याच्या सल्ल्यांची मला "माझी ताई : एक आठवण" ही पुस्तकस्वरूपात कथन करताना खुप मदत मिळाल्याने मी त्याचा ऋणी आहे

तसेच मला ही कादंबरी लिहिताना प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्षरित्या मदत करणारी माझी एकमेव मैत्रीण 'कु. दिपाली घरजाळे' चे देखील आभार मानणे मी आपले कर्तव्य समजतो; पण या 2 व्यक्तीँचे ऋण व्यक्त करून फेडण्याचा प्रयत्न केल्यास तो माझा स्वार्थीपणा ठरेल आणि मी ते पांग फेडू शकण्याइतपत स्वत:ला सामर्थ्यशील समजत नसल्यामुळे या दोघांच्या ऋणातच राहणे मी पसंत करेन.

यांच्या व्यतीरिक्त "माझी ताई : एक आठवण" चं मूळ मनोगत लिहून झाल्यानंतर योगायोगाने जामा मस्जिद मोमिनपूरा , नागपूर येथे भेटलेले एक वृद्ध गृहस्थ व त्यांच्या मित्रानी मला या पुस्तकात मुस्लिम धर्माविषयी बरंच मार्गदर्शन करून धर्माविषयी लिहिण्याची परवानगीदेत ते लिहिण्याचं सामर्थ्य व हिँमत प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्षरित्या माझ्यामध्ये निर्माण करून दिली; व खरं सांगायचं तर त्यांच्या मदतीमुळेच मी धर्माबद्दल काही लिहू शकलो, परंतु धर्म या अतीसंवेदनशील व भव्य व्यापक संज्ञेविषयी लिहिताना जर माझ्या लेखनीद्वारे काही चूक झाली असेल तर तो माझा अज्ञातपणा समजून क्षमा करावी.

"माझी ताई : एक आठवण" या आत्मकथनात अचुक व यथातत्पर दाखले देण्यासाठी मी पुस्तकाच्या शेवटी नमूद सर्व साहित्यांचं वाचन केलं असलं तरी चुकिची अथवा अतीशयोक्तीपूर्ण वा खोटी माहीती देण्यात आलेली नाही हे मी ठामपणे सांगू ईच्छितो... तरीदेखील सदर पुस्तकातील काही मते माझी व्यक्तीगत असू शकतात आणि मी त्यांचे समर्थनच करेन.

वाचक मित्रहो मी प्रेमविरोधी नाही. परंतु सदर पुस्तकातील माझी प्रेमाविषयीची प्रेमविरोधी मते वाचून आजची प्रेमाच्या नावाखाली निव्वळ चव्हाटेगिरी करणारी काही युवा मंडळी माझा विरोधच करतील आणि हे जाणत असूनदेखील मी स्वत:च्या वक्तव्यांवर आयुष्यभर ठाम राहणेच पसंत करीन कारण त्याची मला आता सवयच जडलीय; तसेच माझ्या वक्तव्यांचा विरोध करणा-या ढोँगी प्रेमी युगलांइतके जरी नसले तरी नि:स्वार्थी पवित्र प्रेमाचे पुरस्कर्ते ही या विश्वात कमी नाहित ज्यांचा विरोध मीच काय? तर तो 'ईश्वर' देखील करणार नाही. आणि माझ्या वक्तव्यातील सत्यता या पवित्र प्रेमीँना उमगली तरी माझ्यासाठी पुरे आहे.

वाचक मित्रजणहो, माझा उद्देश या पुस्तकाद्वारे माझी ताई, माझे वा तीचे मित्र-मैत्रिणी, आपल्या भावना दुखावण्याचा ना कधी होता ना राहील परंतु "माझी ताई : एक आठवण" चे लेखन मी भावनेच्या ओघात केले असल्यामुळे माझ्याही लेखनीतून आपल्या भावना दुखावणारे कित्येक शब्द लिहीले गेले असतील कारण अशी एक म्हण आहे की- "चुका करणे हा मानवाचा जन्मजात स्वभावच आहे." ती मी स्विकारून तो माझा अजाणतेपणा समजून आपणास घडलेल्या चुकीबद्दल नतमस्तक होत क्षमा मागतो; व आशा करतो की या नवोदित लेखकाला माफ करून पुस्तकातील माझी चुक लक्षात आणून द्याल जेणेकरून आपल्या सुचना पटल्यास मी चुकातून शिकून धडा घेत या पुस्तकाला सर्वसामान्य भाऊ-बहिणीच्या हृदयापर्यँत पोहचवू शकेन कारण मी असे मानतो की- "झालेल्या चुका स्विकारून त्यांची पुनरावृत्ती न करणे हा यशस्वी जीवनाचा मूलमंत्र आहे."

मित्रहो,

मी काही नावाजलेला प्रसिद्ध साहित्यिक नाही. 18 वर्षे पुर्ण झाल्यानंतर मी माझ्या जीवनावर आधारीत "माझी ताई: एक आठवण" या आत्मकथनपर पुस्तकाद्वारे एक उदयोन्मुक तरुण साहित्यिक म्हणून वाङ्मय क्षेत्रात पहिलं पाऊल टाकत आहे, आशा आहे मला आधार द्याल व जरी भविष्यात काही कारणास्तव प्रस्तूत "माझी ताई: एक आठवण" हे भाऊ-बहिणीच्या नात्यावरील माझं सत्य आत्मकथन पुस्तकरूपात प्रसिद्ध न करण्याचा कठोर निर्णय मी घेतला असला तरी आपण वाचकांच्या उत्सुकतेपोटी विनंतीवरून ब्लॉग स्वरुपात प्रसिद्ध होत असलेल्या या पुस्तकाला सहृदयतेने वाचाल... व मला भविष्यातील लिखाणासाठी उत्सफूर्त प्रतिसाद व प्रोत्साहन द्याल... आपण सर्वाँसाठी "माझी ताई: एक आठवण" या पुस्तकाला ब्लॉगस्वरूपात प्रसिद्ध करताना अत्यानंद होत आहे...

-RDH (राजेश डी. हजारे)

  • मुळ लेख: ज्येष्ठ शुक्ल 3 शके 1932
    बुधवार दि. 23 जून 2010
    रामटेक, जि. नागपूर
    • निजभाद्रपद शुक्ल 14 शके 1934
      शनिवार दि. 29 सप्टेँबर 2012
      आमगाव, जि. गोँदिया

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MTEA-अर्पण

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एका भाऊ न माणना-या बहिणीच्या आठवणीत लिहिलेलं एका भावाचं दुःखमय, वेदनामय मन हेलावून सोडणारं जीवनचित्रण...

"माझी ताई: एक आठवण"

आत्मकथन
लेखक: RDH (राजेश डी. हजारे)

* -:अर्पणपत्रिका:- *

"मी लिहिलेलं भाऊ-बहिणीच्या पवित्र नात्यावरील माझ्या जीवनातील प्रथम आत्मकथनपर पुस्तक 'माझी ताई : एक आठवण' मला भाऊ न माणना-या माझ्या एकमेव ताईस व बहिणीसाठी रडणा-या प्रत्येक भावाच्या अश्रूंना अर्पण..."

महत्त्वाच्या सुचना

  • सदर पुस्तकातील काही अंश या Blog वर प्रसिद्ध करण्यात येणार नाही.
  • ही पुस्तक (MTEA) काही व्यक्तीगत कारणास्तव पुस्तकरूपात प्रकाशित करण्यात येणार नसल्यामुळे तुम्हाला आंतरजालवरच वाचावयास मिळणार आहे.
  • या Blog वर यदाकदाचित पुस्तकाहून अतिरिक्त लेखमाला असू शकते.
  • आंतरजालवर पुस्तकातील काळामध्ये बदल केलेला असू शकतो.
  • गरज भासल्यास आवश्यक ठिकाणी पुस्तकातील पात्रे व स्थान यांचे नाव परिवर्तीत करून Blog वर समाविष्ठ केले जातील.
  • सदर पुस्तक तसेच पुस्तकातील मजकूर, उदाहरणे, दाखले, कविता, गीते सर्व काही RDH (राजेश डी. हजारे) यांच्या नावावर Registerd (अधिकृत) (लेखकाधीन) असल्यामूळे ते कुणालाही चोरता, संग्रहित करता, अथवा जसेचे तसे किँवा थोडा अदलाबदल करून कोणत्याही माध्यमाने प्रसिद्ध करता येणार नाही; असा प्रकार आढळल्यास लेखकाला दोषीँविरूद्ध लिखित साहित्य चोरीचा गुन्हा दाखल करण्याचा पुर्ण अधिकार आहे.
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*लेखकाचा परिचय*

-RDH (राजेश डी. हजारे)
-कामठा रोड आमगाव
ता. आमगाव जि. गोँदिया-441902 (महाराष्ट्र)
-भ्रमणध्वनी क्रमांक: 07588887401

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MTEA: माझी ताई: एक आठवण -An Autobiography by RDH


माझी ताई: एक आठवण (मुखपृष्ठ)
माझी ताई: एक आठवण (मुखपृष्ठ)

  • पुस्तकाचे नाव- माझी ताई: एक आठवण
  • लेखक: राजेश डी. हजारे (आरडीएच)
  • साहित्य प्रकार: आत्मकथन
  • मुखपृष्ठ: राजेश डी. हजारे (आरडीएच)
  • प्रकाशन स्थिती: अप्रकाशित (Unpublished)
  • अक्षरलेखन: राजेश डी. हजारे (हस्तलिखित)
  • Book Category: Registered
  • प्रथम लेखन वर्ष: 2010
  • प्रथम प्रसिद्धी वर्ष (On Internet): 26 सप्टेँबर 2012
  • ©सुरक्षाधिकार: ©सर्व हक्क लेखकाधीन
  • ©Copyright: ©Author RDH (©Rajesh D. Hajare)
माझी ताई: एक आठवण (मुखपृष्ठ)
माझी ताई: एक आठवण (मुखपृष्ठ)
"MAAZI TAI : Ek Athvan"
-An Autobiography by RDH (Rajesh D. Hajare)

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